नौकरानी को मनाया सेक्स के लिए

असम की हरी भरी वादियां और जवां दिलों का संगम… किसको लुभा नहीं लेगा। ऐसे ही असम की हरी भरी जगह पर मेरे पति का पदस्थापना हुआ। हम दोनों ऐसी जगह पर बहुत खुश थे। हमें कंपनी के तरफ से कोई घर नहीं मिला था, इसलिए हमने थोड़ी ही दूर पर एक मकान किराए पर ले लिया था… उसका किराया हमें कंपनी की तरफ से ही मिलता था। Hamari virgin desi naukrani ke sath sex kiya mere husband ne.

मेरे पति सुनील की ड्यूटी शिफ्ट में लगती थी। घर में काम करने के लिए हमने एक नौकरानी रख ली थी। उसका नाम आशा था. उसकी उम्र लगभाग 20 साल होगी। भरपुर जवान बदन, सुंदर, सेक्सी फिगर… मस्त माल लड़की थी वो।

सुनील तो पहले दिन से ही उस पर फ़िदा था। मुझसे अक्सर वो उसकी तारीफ करता रहता था। मुख्य उसके दिल की बात अच्छी तरह समझती थी। सुनील की नज़रें अक्सर उसके बदन का मुआयाना कराती रहती थीं… शायद अंदर तक का एहसास कराती थीं। मैं भी उसकी जवानी देख कर चकित थी। उसके उभार छोटे छोटे पर नुकीले थे। उसके होंठ पतले लेकिन फूल की पंखुड़ियां जैसे थे।

एक दिन सुनील ने रात को चुदाई के समय मुझे अपने दिल की बात बता ही दी। उसने कहा – “नेहा…आशा कितनी सेक्सी है ना…”।

“हां आ… हां… है तो …… जवां लड़कियां तो सेक्सी होती ही हैं…” मैं उसका मतलब समझ रही थी।

“उसका बदन देखा… उसे देख कर तो… यार मन मचल जाता है…” सुनील ने कहा।

“अच्छा जी… बता भी दो जानू… जी क्या करता है…” मैं हंस पड़ा… मुझे पता था वो क्या कहेगा…।

“सुनो नेहा… उसे पटौओ ना… उसे चोदने का मन करता है…।”

“हाय…नौकरानी को चोदोगे? … पर हां … वो चीज तो चोदने जैसी तो है…”।

“तो बोलो… मेरी मदद करोगी ना…”

“चलो यार…तुम भी क्या याद करोगे…कल से ही उससे लाइन पे लाती हूँ……”।

फिर मैं सोच में पड़ गई कि क्या तरीका निकला जाए। सेक्स तो सभी की कामजोरी होती ही है। मुझे एक तरकीब समझ में आई।

दूसरे दिन आशा के आने का समय हो रहा था।

मैंने अपने टीवी पर एक ब्लू हिंदी फिल्म लगा दी। उस फिल्म में चुदाई के साथ हिंदी डायलॉग भी थे। आशा कमरे में सफ़ाई करने आई तो मैं बाथरूम में चली गई।

सफ़ाई करने के लिए जैसे ही वो कमरे के अंदर आई तो उसकी नज़र टीवी पर पड़ी… चुदाई के सीन देख कर वो खड़ी रह गई। और सीन देखती रही।

मैं बाथरुम से सब देख रही थी। उसे मेरा वीडियो प्लेयर नज़र नहीं आया क्योंकि वह लड़की के केस में था।

वो धीरे से बिस्तर पर बैठ गई। उसे फिल्म देख कर मजा आने लग गया था। चूत में लंड जाता देख कर उसे भी ज्यादा मजा आ रहा था।

धीरे धीरे उसका हाथ अब उसके मम्मो पर आ गया था.. वो गरम हो रही थी।

मेरी तरकीब सही बैठी.

मैंने मौका सही समझा और बाथरूम से बाहर आ गई… “अरे… टीवी पर ये क्या आने लगा है…”।

“दीदी…साब तो है नहीं…चलने दो ना…हम ही तो हैं…।”

“अरे नहीं आशा… ये देख कर दिल में कुछ होने लगता है…” मैं मुस्कुरा कर बोली और चेनल बदल दिया।

आशा के दिल में हलचल मच गई थी…उसके जवां जिस्म में वासना ने जन्म ले लिया था।

“दीदी… ये किस चेनल पर आता है?”

उसकी उत्सुकता बढ़ रही है।

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“क्या तुझे देखना है ना, तो दिन को फ्री हो कर आना… फिर हम दोनों देखेंगे… ठीक है?”

“हां दीदी…तुम कितनी अच्छी हो…” उसने मुझे जोश में आकर प्यार कर लिया। मैं रोमांचित हो उठी…आज उसके चुम्बन में सेक्स था। उसने अपना काम जल्दी से निपटा लिया… और चली गई। तीर निशाने पर लग चुका था।

करीब दिन को एक बजे आशा वापस आ गई। मैंने उसे प्यार से बिस्तार पर बैठाया और एक सेक्स वीडियो टीवी पर चला कर मैं भी बिस्तार पर बैठ गयी। यह दूसरी एक्सएक्सएक्स चुदाई फिल्म थी।

फिल्म शुरू हो चुकी है। मैं आशा के चेहरे का रंग बदलता देख रही हूं। उसकी आँखों में वासना भर रही थी। मैंने थोड़ा और इंतज़ार किया… चुदाई के सीन चल रहे थे।

मेरे शरीर में भी वासना जग उठी थी। आशा का बदन भी रह-रह कर सिहर उठाता था। मैने अब धीरे से उसकी पीठ पर हाथ रखा। उसकी धड़कने तक महसूस हो रही थी। मैने उसकी पीठ सहलानी चालू कर दी।

मैंने उसे हल्के से अपनी ओर खींचने की कोशिश की… तो वो मेरे से चिपक गई। उसका कसा हुआ बदन…उसकी बदन की खुशबू…मुझे महसूस होने लगी थी।

टीवी पर शानदार चुदाई का सीन चल रहा था। आशा का पल्लू उसके सीने से नीचे गिर चुका था… मैंने धीरे से उसके मम्मो पर हाथ रख दिया… उसने मेरा हाथ मम्मो के ऊपर ही दबा दिया और सिसक पड़ी।

“आशा… कैसा लग रहा है…” “दीदी… बहुत ही अच्छा लग रहा है…कितना मजा आ रहा है…” कहते हुए उसने मेरी तरफ देखा।

मैंने उसकी चूंचियां सहलानी शुरू कर दी…उसने मेरा हाथ पकड़ लिया…’बस दीदी…अब नहीं…’

“अरे मजे ले ले… ऐसे मौके बार-बार नहीं आते।”

मैंने उसे कांपते हुए होठों पर अपने होंठ रख दिए… आशा उत्तेजना से भरी हुई थी। आशा ने मेरे मम्मो को अपने हाथों में भर लिया और धीरे-धीरे दबाने लगी।

मैंने उसका लहंगा ऊपर उठा दिया… और उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फेरने लगी… अब मेरे हाथ उसकी चूत पर आ चुके थे।

उसकी चूत चिकनी थी और पानी छोड़ रही थी।

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मेरे हाथ लगाते ही आशा मेरे से लिपट गई। मुझे लगा मेरा काम हो गया।

“दीदी… हाए… नहीं करो ना…”। मैंने उसकी चूत के दाने को हल्के-हल्के से हिलाने लगी। वो नीचे झुकती जा रही थी… उसकी आंखे नशे में बंद हो रही थी। उधर सुनील लंच पर आ चूका था। उसने अंदर कमरे में झाँक कर देखा। मैंने उसे इशारा किया कि अभी रुको।

मैंने आशा को और उत्साहित करने के लिए कहा – “आशा… आ मैं तेरा बदन सहला दूं… कपड़े उतार दे…।”

“मेर बदन दबा दो ना…” वो बिस्तर पर लेट गई सिसकियाँ बढ़ती जा रही हैं… मैंने अब उसे उभारना देख कर उसका ब्लाउज उतार दिया… उसने कुछ नहीं कहा…।

मैंने ये देख कर अपने कपडे तुरंत उतार दिए। अब मैं उसकी चूत अपनी उंगली से दबा कर सहलाने लगी… और धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। उसके मुँह से आनंद की सिसकियाँ निकल पड़ीं।

“आशा… हाय कितना मजा आ रहा है… है ना…” “हां दीदी… हाय रे… मैं मर गई…” “लंड से चुदोगी आशा… मजा आएगा…” “कैसे दीदी… लंड कहां से लाओगे…” “कहो तो सुनील को बुला दूं… वो तुम्हें चोद कर मस्त कर देगा” ”नहीं…नहीं…साब से नहीं…” ”अच्छा उलटी लेट जाओ…अब पीछे से तुम्हारी चूत भी मसल दूं…”

वो उलटी लेट गई। मैंने उसकी चूत के नीचे तकिया लगा दिया। और उसकी गांड ऊपर कर दी।

मैंने उसके दोनों पैर चौड़े कर दिए और उसकी गांड के छेद पर और उसके आस-पास सहलाने लगी।

वो आनंद से सिसकियाँ भरने लगी।

सुनील डरावाजे के पास खड़ा हुआ सब देख रहा था। उसने अपने कपड़े भी उतार लिये। ये सब देख कर सुनील का लंड टाइट हो चुका था। उसने अपने लंड को हाथ में लेकर मास्टरबेट करने लगा।

मैं आशा की गांड और चुथड़ों को प्यार से सहला रही हूं। उसका उत्तेजना बहुत बढ़ चुकी थी।

मैंने सुनील को इशारा कर दिया… कि लोहा गरम है… आ जाओ…।

सुनील दबे पांव अंदर आ गया। मैंने इशारा किया कि अब चोद डालो इसे।

उसके फैले हुए पांव और खुली हुई चूत सुनील को नजर आ रही थी। ये देख कर उसका लंड और भी तनने लगा।

सुनील उसकी जोड़ी के बीच में आ गया। मैं आशा के पीछे आ गई… सुनील ने आशा के चूतडों के पास आकर लंड को उसकी चूत पर रख दिया।

आशा को तुरत ही होश आया। पर तब तक देर हो चुकी है।

सुनील ने उसपे काबू पा लिया था। वो उसकी चूत पर लंड फ़सा चुका था। उसके हाथों और शरीर को अपने हाथों में कस चुका था।

आशा चीख उठी…पर तब तक सुनील ने अपने हाथ से उसका मुंह दबा कर हरकत में आ गया।

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उसका लंड चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। चूत गीली थी…चिकनी भी थी पर अभी तक चुदी नहीं हुई थी, इसलिए टाइट थी। दूसरे धक्के में लंड आशा की चूत की गहराई में उतरता चला गया।

आशा की आंखे फट गई. वो दर्द के मारे रोने लगी.

उसने अपने हाथों से जोर लगा कर मेरा हाथ अपने मुँह से हटा लिया। और जोर से रो पड़े… उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे…चूत से खून टपकने लगा था।

“बाबूजी…छोड़ दो मुझे…मत करो ये…” उसने विनती भरे स्वर में रोते हुए कहा। पर लंड अपना काम कर चूका था।

“बस… बस… अभी सब ठीक हो जाएगा… रो मत…” मैंने उसे प्यार से समझाया।

“नहीं बस… छोड़ दो अब… मैं तो बर्बाद हो गई दीदी… आपने ये क्या कर दिया…” वो नीचे दबी हुई छटपटाती रही।

हम दोनों ने मिलकर उसे पकड़ लिया। दबी चीखे उसके मुंह से निकलती रही। सुनील ने लंड को धीरे धीरे से अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया।

सुनील ने अब उसकी चूंचियां भी बीच ली और चुदाई अब तेज कर दी… उसका कुंवारापन देख कर सुनील और भी उत्तेजित होता जा रहा था।

धक्के तेजी पर आ गए थे. कुछ ही देर में आशा का रोना बंद हो गया… और अंदर ही अंदर शायद उसे मस्ती चढ़ने लगेगी…

मैंने देखा कि सुनील का लंड खून से लाल हो चुका था। उसकी कुंवारी छूट पहली बार चुद रही थी।

उसकी टाइट चूत का असर ये हुआ कि सुनील जल्दी ही चरमसीमा पर पहुंच गया। अचानक नीचे से आशा की सिसकियां निकल पड़ी और वो झड़ने लगी।

सुनील को लगा कि आशा को आख़िरकार मजा आने लगा और वो झड़ गई।

अब सुनील ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपनी पिचकारी सेक्सी नौकरानी की गांड के ऊपर छोड़ दी।

सुनील अब शांत हो चुका था।

सुनील बिस्तार से नीचे उतर आया। आशा को भी चुदाई के बाद अब होश आया… वो वैसी ही लेट कर रोने लगी थी।

“बस अब तो हो गया आशा… चुप हो जा…देख तेरी इच्छा भी तो पूरी हो गई ना…।”

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“दीदी… मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मेरी पहली बार चुदाई हुई है… मैं अब कल से काम पर नहीं आऊंगी…” वो उठते हुए रोते हुए बोले।

उसने अपने कपड़े उठाए और पहनने लगे। सुनील भी कपड़े पहन चुका था।

मैंने सुनील को तुरंत इशारा किया… वो समझ चुका था… जैसी ही आशा जाने को मुड़ी मैंने उसे रोक लिया।

“आशा… सुनो सुनील क्या कह रहा है…” “आशा… मुझे माफ़ कर दो… देखो मुझसे रहा नहीं गया तुम्हें उस हालात में देख कर… प्लीज…”।

“नहीं… नहीं साब… आपने तो मुझे बरबाद कर दिया है… मैं आपको कभी माफ नहीं करूंगी…” उसका चेहरा आंसुओं से दूर था।

सुनील ने अपनी जेब से सौ सौ के न निकल कर उसे दिए…पर उसने देख कर मुंह फेर लिया। उसने फिर और सौ के पांच नहीं निकाले… उसकी आंखों में एकबारगी चमक आ गई।

मैंने उसे पहचान लिया। मैंने सुनील के हाथ से नोट लिए और अपने पर्स से सौ सौ के कुल एक हजार रुपए निकाल कर उसके हाथ में पकड़ा दिए। उसका चेहरा खिल उठा।

“देख… साहब ने जो ग़लती की ये उसका हरज़ाना है… हाँ अगर साहब से और ग़लती करवाना हो तो इतने ही नोट और मिलेंगे…।”

“दीदी… मैं आपकी आज से बहन हूं… पैसे की जरूरत किसे नहीं होती है…” मैंने आशा को गले लगा लिया… “आशा… माफ कर देना… तू सच में आज से मेरी बहन है… तेरी इच्छा हो… तभी ये करण…”

आशा खुश हो कर जाने लगी… डरावाजे से उसने एक बार फिर मुड़ कर देखा… फिर भाग कर आई… और मेरे से लिपट गई… और मेरे कान में कहा, “दीदी…साब से कहना…धन्यवाद…”।

“अब साब नहीं! जीजाजी बोल ! और धन्यवाद किसके लिए …… पैसे के लिए …”