Virgin girl sex story. – दोस्तों, मेरा नाम अभिजीत है और मैं मुंबई में रहता हूं, शादीशुदा हूं, बाल बच्चेदार दूं, पत्नी भी पूरी चुदाई का सुख देती है। मगर इंसान की फितरत होती है कि उसे जितना भी मिलता है, थोड़ा ही लगता है और सेक्स के मामले में तो मर्दों की भूख कभी भी शांत नहीं होती है।
मैं भी कोई देवता नहीं हूं, अच्छी खासी सुंदर बीवी के होते हुए भी मैंने इधर उधर बहुत मुंह मारा है। जिनमे मेरे दफ्तर की सहकर्मी, काम वाली बाई, मतलब किसी को नहीं बख्शा, जो मेरी लच्छेदार बातों के जाल में आ गई, मैंने उसे चोद कर ही दम लिया।
वैसे तो मैं अपने रिश्तेदारों के घर बहुत ही कम जाता हूं, क्योंकि वहां जाकर मुझे अपनी ही रिश्तेदारी में नई नई फुद्दियां और अलग साइज की गांड और बोबे दिखते हैं तो मेरा लंड मचलने लगता है।
मगर पिछले साल मुझे अपनी बड़ी साली के घर नासिक जाने का मौका मिला।
जब मैं उसके घर गया, सब से मिला तो मेरी साली की बेटी आरुचि भी मुझसे मिली.. वो मुझे ‘नमस्ते मौसा जी’ कह कर चली गई।
कोई 20-21 साल की पतली दुबली, देख लड़की थी आरुचि। साधारण सा चेहरा, कद मुश्किल से 5 फीट 1 या 2 इंच।
Virgin girl ki real sexy chudai kahani – antarvasna2
उसने काले रंग की टी शर्ट और नीचे से जीन्स की माइने स्कर्ट पहन रखी थी। और मिडल क्लास फैमिली की लड़की अब मेरी स्कर्ट में अपनी टांगें तो दिखा नहीं सकती, तो टांगों को ढकने के लिए उसने स्कर्ट के नीचे से एक काली स्लैक्स पहन रखी थी।
अब अपनी तरफ से तो उसने सब ढक कर अपना मिनी स्कर्ट पहनने का शौक पूरा किया था, मगर मेरे जैसे बदमाश बंदे ने तो इसमें बहुत कुछ देख लिया।
स्किन टाइट स्लेक्स होने के कारण मुझे पता चल गया कि उसकी टांगें और जांघें कितनी मोटी हैं।
टाइट टी शर्ट ने बता दिया के उसका पेट कितना फ्लैट है और बोबे का आकार क्या है।
और जब मुझे नमस्ते कह कर वो वापस आ गई, तो उसकी मस्तानी चाल ने उसके गांड का आकार और मटक दिखा दी।
जब वो जा रही थी तो मैं सोच रहा था कि अगर इसके स्कर्ट के नीचे ये काली स्लेक्स ना पहनी होती तो इसकी नंगी टांगें कितनी खूबसूरत लगतीं, और अगर स्कर्ट ही ना पहनी होती काली स्लेक्स में से इसके छोटे छोटे चूतड, हिलते हुए मटकते हुए कितने प्यारे लगते.
खैर.. मैंने उसे देखा भी बहुत सालों के बाद, शायद 5-6 साल के बाद। इस दौरान वो ज्यादा लंबी या तगड़ी तो नहीं हुई, मगर उसके कुल्हो और बोबे का साइज जरूर बढ़ गया था। मगर लगती अब भी वो छोटी सी ही थी, क्योंकि दुबला जिस्म और छोटा कद उसको छोटा ही दिखा रहा था।

मैं भी सोच रहा था, कॉलेज में पढ़ती है, बॉय फ्रेंड होगा इसका या नहीं? अगर होगा तो इसने कुछ किया होगा या नहीं? चुदी हुई तो नहीं लगती है, अगर मुझसे चुद जाए तो मजा आ जाए जिंदगी का।
मगर हां तो संभव नहीं था, वो अपनी उम्र का लड़का छोड़ कर मुझे जैसे अंकल से क्यों चुदने आएगी भला।
मगर इन दिनों मैंने उसे जो कपड़े पहने देखे, कभी जींस-टी शर्ट, कभी कोई लेगी या बारामूदा, जिसमें से मैंने उसके घुटनों से नीचे की नंगी टांगें देखीं, टांगें भी पूरी तरह से वेक्स की हुई थीं।
इसे से मैंने अंदाज़ा लगाया कि अगर इसने पैर वेक्स किये हैं तो बगल और चूत के बाल भी ज़रूर साफ होंगे।
एक दिन वो बड़ी ढीली स्लीवलेस टी शर्ट पहन कर अपने कपडे प्रेस कर रहे थे, तो मैंने चुपके से देखा, उसके बगलों में एक भी बाल नहीं था, बिल्कुल चिकने बाहें और साफ बगलें।
यहीं नहीं, टी-शर्ट के गले के अंदर से मैंने पहली बार उसके आज़ाद झूलते बोबे भी देखे, मम्मे बढ़िया थे साली के…
ओह सोरी.. मेरी साली तो उसकी माँ है।
खैर, दो तीन दिन उनके घर रह कर, मैं अपने परिवार सहित अपने घर वापस आ गया। मगर उसका कुंवारा मदमाता यौवन मेरी आंखों में बस गया।
घर आकर जब अपनी बीवी की ली तो मैंने अपनी आंखें बंद करके आरुचि को चोदने का ख्याल अपने मन में ले लिया।
दिन बीत गए.
करीब 6 महीने बाद बीवी ने बताया कि इस बार गर्मियों की छुट्टियाँ में आरुचि हमारे घर कुछ दिन रहने के लिए आ रही है..
मेरी तो ख़ुशी का कोई ठिकाना ना रहा… मैंने सोचा कि अगर मैं उसे चोद नहीं सकता तो नंगी तो देखना ही देखना है। इस विचार के चलते मैं अपने घर के दोनों बाथरूमों के दरवाज़ों में जो कुंडियां लगी थी, उनमेन इस हिसाब से होल कर दिए कि देखने को लगे के ये पेंच कसने के लिए होल किया होगा, बस पेच लगाना रह गया।
जिस दिन अरुचि हमारे घर आई, हम दोनों मियां बीवी ने उसे भरापूरा प्यार दिया।
मैने तो इतना लाड किया जैसे वो मेरी अपनी बेटी हो। वो भी बहुत खुश थे.
जब वो आ कर मेरे गले लगी तो मैंने जानबूझ कर उसे अपने आगोश में कस लिया, और उसके नरम बोबे को अपने पेट पर महासूस किया।
ज़्यादा बड़े तो चूचे नहीं थे उसके, मगर गोल और सॉलिड थे।
जब रात को खाना बन रहा था, तो मैंने जान बूझ कर अरुचि से कहा – आरुचि, अगर खाने से पहले नहाना है तो नहा लो।
उसने मेरे दिमाग में चल रहे कुटिल विचार को समझे बिना अपने कपड़े उठाए और बाथरूम में चली गई।
मैंने पहले अपनी पत्नी को देखा कि वो रसोई में पूरी बिज़ी है, बेटा टीवी देखा रहा था, तो मैं छुपके से बाथरूम के दरवाजे के पास गया और मैंने सुरख से अपनी आंख लगा कर अंदर देखा।
शायद आरुचि होले से दूर थी, नहीं दिखी।
मैं थोड़ी देर और आहट लेकर देखता रहा।
करीब 2 मिनट बाद अरुचि सामने आई, मगर उसकी पीठ मेरी तरफ थी, गोरे पीठ पानी से भीगी हुई। पीठ के नीचे दो गोल.. एकदम गोल गांड.
सच में कुंवारे बदन के नज़ारे ने तो मेरे तन बदन में आग लगा दी..
मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और मन ही मन बुदबुदाया – अरुचि मेरी जान, पीठ नहीं, पीठ नहीं, मुझे तेरे बोबे और तेरी चूत देखना है, इधर को घूम मेरी जान, और अपने कुंवारे बदन का जलावा दिखा।
मगर वो तब नहीं घूमी.
जब उसने अपनी टांगों पर तौलिया फेरा, तब उसने मेरी तरफ घूम कर अपनी एक टांग बाल्टी पे रखी और अपनी टांगों का पानी सुखाया।
जितने उसे कपड़ो के ऊपर से दिखते थे, उसके बोबे तो उसे भी बड़े थे, गोल और खड़े, छोटे छोटे भूरे रंग के निप्पल।
नीचे सपाट पटला से पेट, कटावदार कमर, और कमर के नीचे बिल्कुल साफ, हल्के से बालों वाली छोटी सी चूत, जिसे मैं सारी उमर चाट सकता था..
छोटी सी चूत की छोटी सी दरार, मगर बहुत ही चिकनी मगर दो मनसल जांगें। सच.. उसकी जाँघों को मैंने चाट-चाट कर अपने थूक से भीगो देना चाहता था।
और वो थी भी कितनी दूर मुझसे… सिर्फ 6 से 7 फीट!
मगर बीच में एक बंद दरवाजा था, जो शायद मेरे लिए तो कभी नहीं खुले। इतना सुंदर, कोमल और नाज़ुक जिस्म मैंने आज तक नहीं देखा था। पजामे के अंदर ही मैं अपने लंड को सहलाने लगा।
अपने बदन को पोंछने के बाद उसने ब्रा पहनी.. गोल, कोमल, नाज़ुक बोबे को उसने सफेद रंग की ब्रा में छुपा दिया… फिर नीचे एक नीले रंग की पैंटी पहनी.. उसके बाद एक ढीली टी-शर्ट और लोअर पहन लिया।
उसके बाहर आने से पहले ही मैं उठा और आ कर अपने कमरे में बैठ कर लैपटॉप पर कुछ काम करने लगा।
थोड़ी देर में आरुचि बुलाने आई – मौसा जी.. आ जाओ, खाना बन गया! कह कर वो चली गई.
मैं उसे जाता देखता रहा, मगर मुझे तो वो सिर्फ सफेद ब्रा और नीली पैंटी में अपनी गांड मटकाती चली जाती दिख रही थी।

तभी दिमाग में कुछ आया और मैं झट से बाथरूम में घुस गया। मैंने देखा कि बाथरूम में आरुचि के कपड़े तांगे हुए थे…
मैंने दरवाजा ठीक तरह से बंद किया और उसके कपड़े अपने हाथों में लिए.. उसकी ब्रा के कप को मैंने अंदर से चाटा…. उफ्फ… इस जगह पर आरुचि के नाज़ुक बोबे लगते होंगे, यहां पे उसके छोटे-छोटे निपल घिसते होंगे।
फिर पेंटी उठायी.. उसको सूंघा… उसमें से शायद पेशाब की हल्की सी बू आ रही थी… आह, ये आरुचि की कुंवारी चूत से लगती होगी… ये जब वो पेशाब करके उठेगी तो उसकी चूत में से गिरने वाली आखिरी बूंदें इस चड्ढी में लगती होगी…
और मैं उसकी उसकी पैंटी को भी सूंघते-सूंघते चाट गया।
जहां पर उसकी गांड लगती होगी.. उसको भी चाटा…. मगर फिर भी मेरा मन नहीं भरा…
तो मैंने अपना बरमूडा नीचे किया और अपना लंड निकाल कर उसकी पैंटी और ब्रा पे घिसाया और ये अहसास लेने की कोशिश की कि मैं आरुचि के बोबे पे और चूत पे अपना लंड घिस रहा हूँ।
मगर मेरे पास वक्त ज्यादा नहीं था। मैं बाहर आया और खाना खाने चला गया।
अगले दिन सुबह आरुचि मेरी बीवी के साथ बाजार चली गई.. उन्हें मंदिर भी जाना था.. मैं घर पर ही था।
उनके जाते ही मैं बाथरूम में चला गया..मगर बाथरूम में आरुचि का कोई कपड़ा नहीं था..
मैंने आरुचि का बैग देखा.. उसने अपने सब कपडे उसमें ही रखे थे।
मैंने बड़ी एहतियत से उसके कपडों की जांच की… साइड की एक जेब में मैंने उसकी ब्रा पेंटी देखी… 3 ब्रा, दो सफेद, एक गुलाबी। गुलाबी ब्रा के स्ट्रैप भी प्लास्टिक के थे।
मैंने उसके ब्रा और पेंटी निकल के बिस्तर पर रखे और खुद भी नंगा हो कर बिस्तर पर लेट गया।
कभी मैं अरुचि की ब्रा को चूमता, कभी उसकी पेंटी को, कभी उसकी ब्रा पेंटी को अपने लंड और गोटे पर घिसता!
जब इस सब से भी आदमी नहीं भरा तो मेरे लिए ऐसे ही आरुचि के ब्रा पेंटी को चूमते-चाटते अपने हाथ से मुठ मारी और अपने वीर्य की कुछ बूंदें मैंने अरुचि की ब्रा पेंटी में लगा दी… ताकि जब वो ब्रा पेंटी पहने.. तो मेरा वीर्य उसकी चूत और बोबों पर लग जाए।
मगर अब मेरा मन इस सब से नहीं भर रहा था।
मैं तो और चाहता था… तो मैंने एक स्कीम बनाई और बाहर घूमने का कार्यक्रम बनाया।
हम सब शहर के एक चिड़ियाघर देखने गए.. वहां बहुत चलना पड़ता था। चला-चला के मैंने सबको थका दिया। शाम को जब घर वापसी आए तो सबकी हालत खराब थी।
खाना भी मैं बाहर से लाया, खाना खा कर हम सोने चले गए और सोने से पहले मैंने सब को एक-एक गिलास गरम दूध पिलाया।
दूध में मैंने कुछ अपनी तरफ से मिला दिया था… एक तो थकावट और दूसरा मेरा बनाया मसाला दूध… पीने के थोड़ी देर बाद ही सब लुड़क गए।
मगर मैंने इंतज़ार करना बेहतर समझा…
करीब 12 बजे तक मैं टीवी देखता रहा। 12 बजे उठ कर मैं अपने बेडरूम में गया। मेरी बीवी और आरुचि दोनों बेड पे सो रहे थे.
नीट लैंप जल रहा था. मैं जाकर आरुचि के पास बैठ गया। वो सीधी सोई हुई थी..
मैंने सबसे पहले उसे जी भर कर देखा…कितनी मासूम…कितनी प्यारी…
फिर मैंने उसके सिर पर हाथ फेरा और अपना हाथ उसके गाल तक लाया। बहुत ही कोमल गाल था. गाल से मैं अपना हाथ फिरता हुआ नीचे ले गया। गले से होते हुए, उसके बोबों तक… अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बोबे पकड़े और धीरे से दबा के देखे… वो वैसे ही सोती रही..
मैं दबाव बढ़ाता गया।
जब मैंने कुछ ज्यादा ही ज़ोर से उसे बोबे दबा दिए… या यू कहूं कि उसके बोबे निचोड़ ही डाले.. तब जाकर वो हिली।
मतलब वो बिल्कुल बेसुध थी.
इसी तरह मैंने अपनी बीवी के भी बोबे दबा कर चेक किया, वो भी गहरी नींद में थी।
मैं उठ कर गया और दरवाजा अंदर से लॉक कर आया… फिर मैंने लाइट जलाई… सारा कमरा रोशनी से भर गया।

अब सबसे पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी बीवी और आरुचि के बीच जाकर लेट गया और आरुचि की तरफ मुंह कर के लेटा।
बिल्कुल आरुचि के साथ चिपक कर… अपना लंड आरुचि की कमर के साइड से लगा दिया।
फिर उसका मुँह अपनी तरफ घुमाया और उसके चेहरे को चूमा।
मैं धीरे से बोला – जानती हूं अरुचि, जब भी मैं तुम्हें देखता हूं, मेरे मन में बहुत ख्याल आता है, तुमसे प्यार करने का, तुम्हें चूमने का, तुम्हें छूने का… सच कहूं, तो तुमसे सेक्स करने का। तुम्हारा ये 20 साल का बदन मेरे तन मन में आग लगा देता है… मेरी जानेमन… आज एक मौका मुझे मिला है, जिसमें मैंने तुम्हें प्यार तो कर सकता हूं, पर चोद नहीं सकता….
मैं उसको सहलाता रहा और बुदबुदाता रहा – आज मैं तुम्हारे इस सेक्सी बदन की हर गोलाई… हर गहराई… और हर एक कटाव को देखूंगा… और प्यार करूंगा… और तुमसे यह उम्मीद करता हूं कि तुम इसी तरह शांत रह कर मेरा साथ दोगी… लव यू माय स्वीटहार्ट!… कहकर मैंने आरुचि के होठों को चूमा।
मगर उसके होंठ चूमना मुझे थोड़ा मुश्किल लगा.. तो मैं उसके ऊपर ही आ गया और थोड़ा थोड़ा कराके अपना वजन उस पर डाल दिया।
जब मैं उसके ऊपर लेट गया तो लगा जैसे उसे थोड़ी दिक्कत हो रही है सांस लेने में…
मैं समझ गया कि मेरा वजन ज्यादा है.. तो मैंने सिर्फ उसे ऊपर अपने बदन को रखा… और अपना सारा वजन मैंने अपनी घुटानों और कोहनीयों पे ले लिया।
उसके नरम नरम बोबे मेरे सीने से लग रहे थे और मेरा तन हुआ कड़क लंड उसके सलवार के ऊपर से ही उसकी कुंवारी चूत को छू रहा था।
मैंने आरुचि का मुंह सीधा किया और उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए… धीरे से उनको चूसा और अपनी जीभ से चाटा…
वाह, क्या मस्त होंठ हैं… एक कुंवारी लड़की के साथ चुपके-चुपके चुम्मा-चाटी करने में अलग ही कामुकता है…
फिर मैंने अपनी जीभ में उसे बंद कर दिया होठों में घुमाई और उसके मुंह के अंदर डालने की कोशिश की.. मगर उसका मुंह बंद था….
थोड़ी देर उसके मुँह, गाल, नाक, गले और सारे चेहरे को मैंने बड़े प्यार से चूमा।
जैसे जैसे मुझे उसकी पुरानी बातें याद आ रही थीं, वैसे वैसे मैं उसे चूम-चाट कर प्यार कर रहा था… उसकी हर एक अदा और बात को याद करके मैं उसे प्यार कर रहा था।
जब चेहरे से प्यार कर लिया तो मैंने उसे बोबों की तरफ मुंह किया…
मैं थोड़ा नीचे खिसका, मैंने देखा मेरा लंड एकदम टाइट था।
मैंने उठ कर पहले आरुचि की कमीज को ऊपर उठाया…बेशक कमीज थोड़ी देर थी..मगर मैंने उठा ही दिया…
उसने गुलाबी ब्रा पहनी थी… वही ब्रा जिसमें मैंने सुबह अपने वीर्य की कुछ बूंदें गिराई थीं।
मैंने पहले उसकी ब्रा को ही हर तरफ से चूमा… चाटा.. हल्के हाथों से दबा कर देखा। वाह, कितने मुलायम बोबे थे! बेहद मुलायम… जैसे मखमल के बने हो… दोनों बोबों को इकट्ठा करके मैंने अरुचि का क्लीवेज बनाया और हमें अपनी जिभ डालकर चाटा।
चाट चाट के मैंने उसे क्लिवेज को अपने थूक से गीला कर दिया।
फिर मैंने नीचे हाथ डाल के उसकी ब्रा का हुक खोला और ब्रा ऊपर उठा दी.. हुक खुलते ही उसके बोबे निकल आये… वाह! कितने शानदार बोबे थे उसके… ज़्यादा बड़े तो नहीं थे.. मगर थे बिल्कुल गोल… कप जैसे… और निप्पल हल्के भूरे से.. गुलाबी से… मैंने उसके बोबे अपने मुँह में लेकर चूसे।
हल्का नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह में आया… पता नहीं उसके बदन का नमक था या फिर मेरे ही वीर्य का स्वाद था… पर बड़ा मज़ेदार लगा।
उसके पूरे बोबे को मैंने बड़ी अच्छी तरह से चाटा, जैसे एक भी इंच मेरे जीभ के चाटने से बच ना जाए। बोबे चाटने के बाद मैं नीचे पेट आ गया… पेट को चाटा… कमर के आस-पास भी अपनी जीभ फिराई… तो अरुचि कसमसाई… मतलब सोते हुए भी उसे गुदगुदी का एहसास हुआ था।
मैंने और देर ना करते हुए… उसके सलवार का नाडा खोल दिया।
नाडा खोल के मैंने उसकी पूरी सलवार ही उतार दी और साइड में रख दी।
उसने पेंटी नहीं पहनी थी… सलवार निकलते ही वो बिल्कुल नंगी हो गई…
छोटी से चूत मेरे सामने थी… चिकनी जाँघों के बीच… मैंने उसके घुटनों से लेकर उसकी जाँघों तक अपने हाथों से सहलाया और फिर मुँह झुका कर उसकी चूत को चूमा…
उसकी चूत पर हल्के बाल थे.. जैसे पिछले हफ्ते ही शेव की हो… और इतने छोटे बालों से मुझे कोई समस्या नहीं थी।
मैंने उसके घुटने मोड दिए और उसके टांगें कमर से ऊपर को मोड़ दिए और उसके पांव मैंने अपने कंधों पर रख लिए।
मेरे लंड का टोपा उसकी कुंवारी चूत को छू रहा था।
मेरा दिल किया कि अभी अपना लंड उसकी चूत में डाल दूं। मगर यह मौका सही नहीं था… मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के होंठों पर घिसाया।
घीसाते घीसाते लंड का टोपा उसकी चूत के सुरख पे लगा… मैंने कहा- जानती हूँ आरुचि, हाँ जो तुम्हारी चूत है ना, इसको एक दिन तुम्हें मेरा यहाँ लंड लेना है। आज सिर्फ अपनी चूत से मेरे इस लंड को चूम लो.. ताकि जब यह तुम्हारी चूत में घुसे तो तुम्हें दर्द न हो।
मेरा बहुत दिल कर रहा था लंड को उसकी चूत में डालने का… मगर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था…
फिर मैंने कुछ और सोचा और नीचे झुक कर अपना मुँह आरुचि की चूत से लगा दिया और अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर और होठों के अंदर से चाटी।
क्या मज़ेदार स्वाद था उसकी चूत का! ….और कितनी प्यारी से गंध आ रही थी।
मैंने काफी देर उसकी चूत चाटी… उसके बाद अपनी जीभ से उसकी गांड और गांड का छेद भी चाट कर देखा।
मेरी प्यास बढ़ती जा रही थी…
मुझे अब किसी को चोदना था…मगर किसको चोदता?
मैंने अपना लंड आरुचि के पूरे बदन पे फिराया… उसके पैरों की उंगलियों से लेकर उसके माथे तक.. मैंने उसके बदन का हर एक कोना चाट लिया… मगर मेरे मन की प्यास नहीं बुझ रही थी।
मैंने एक बार फिर से अपना लैंड आरुचि की चूत पे रखा और थोड़ा सा अंदर को ढकेला… मगर वो अंदर नहीं जा रहा था..
हे भगवान, अब मैं क्या करूँ?…
मेरी हालत ख़राब होती जा रही थी। जब और कुछ नहीं सूझा तो मैंने अरुचि की दोनों टाँगें जोड़ लीं और उसकी चूत के ऊपर अपना लंड रखा और ढेर सारा थूक लगा कर उसकी जाँघों को ही धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया।
जाँघों में लंड की पकड़ ठीक से बन गया और चूत जैसा ही आभास होने लगा।
मैं बार थूक लगाता रहा और उसकी जाँघों में ही चुदाई करता रहा।
करीब 7-8 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया… मेरा सारा वीर्य आरुचि के पेट और कमर पर फैल गया…. पानी छूट गया तो मुझे भी तसल्ली हो गई।
फिर मैंने अपनी चड्ढी से अरुचि का पेट और कमर साफ की।
Priyanka ki chut ka bharta banaya.
उसके बाद उसे सलवार पहनाई, उसकी ब्रा का हुक लगाया, नीचे के और उसे पहले की तरह ठीक ठाक किया।
उसके बाद अपने कमरे में जा कर लेट गया… थोड़ी देर में नींद आ गई और मैं सो गया।
उसके बाद आरुचि 2 दिन और हमारे घर में रहीं…मगर फिर कभी मौका नहीं मिला।
जब भी वो मेरे सामने आती है… मैं यहीं सोचता हूं… इन होठों को मैंने चूसा है.. इन बोबों को पिया है…. जब जींस या स्लेक्स में उसकी गोल गोल गांड देखता है.. तो सोचता है, कि इनमें मैंने अपना लंड फिराया है।
कभी-कभी सोचता हूं कि इंसान की हिम्मत उसे कहां से कहां ले जाती है।
अब भी जब मुझे आरुचि मिलाते हैं… मैं उसे बच्चों की तरह प्यार करता हूं… पर साथ में ये ख्याल मेरे दिल में आता है कि मैंने इसके कुंवारे बदन के हर एक उभार और गोलाई को टटोल के देखा है… ठीक किया या गलत… ये तो पता नहीं… पर मन को एक संतुष्टि है… चुदाई ना सही… पर जो भी किया वो भी किसी की चुदाई से कम नहीं था।
इस बात को दो साल हो चुके हैं, आरुचि और जवां और गदराई हो गई है, काश फिर कोई वैसा ही मौका मिल जाए तो इसके गदराए बदन को भी मैं प्यार कर सकूं!
कैसी लगी आपको मेरी वर्जिन गर्ल की सेक्सी कहानी?